Profit Tax Rate: शेयर बाजार से पैसा कमाने का नाम सुनते ही हर किसी के मन में एक सपना कौंधता है। लेकिन जैसे ही टैक्स का नाम आता है, ज्यादातर निवेशकों और ट्रेडर्स के चेहरे पर एक सवाल बन जाता है। कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के नाम पर चला जाएगा, यह सोचकर ही मन उदास हो जाता है। अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं या ट्रेडिंग करते हैं, तो आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि इस मुनाफे पर आखिर कितना टैक्स देना पड़ेगा? आपकी इसी परेशानी को दूर करने और सीधा जानकारी देने के लिए हम यह आर्टिकल लेकर आए हैं।
इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद आपको शेयर बाजार की कमाई पर टैक्स से जुड़े हर सवाल का जवाब मिल जाएगा। हम आपको बिल्कुल साफ और आसान भाषा में Short-Term Capital Gains (STCG) और Long-Term Capital Gains (LTCG) टैक्स के बारे में बताएंगे। साथ ही, टैक्स बचाने के कुछ आसान तरीकों पर भी चर्चा करेंगे। इसलिए, अपनी आर्थिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
शेयर बाजार की कमाई पर टैक्स: पूरी जानकारी एक ही जगह
शेयर बाजार से होने वाली आमदनी पर टैक्स का नियम इस बात पर निर्भर करता है कि आपने शेयर को कितने समय तक होल्ड किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ज्यादातर नए निवेशकों को इस बात की सही जानकारी नहीं होती, जिसकी वजह से उन्हें बाद में परेशानी का सामना करना पड़ता है। आइए, इसे आसानी से समझते हैं।
कितने समय में कौन सा टैक्स? STCG और LTCG की पूरी जानकारी
शेयर बाजार में टैक्स को मुख्य रूप से दो हिस्सों में बांटा गया है: Short-Term Capital Gains (STCG) और Long-Term Capital Gains (LTCG)।
- Short-Term Capital Gains (STCG) Tax: अगर आपने किसी शेयर या इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड को 12 महीने से कम समय के लिए होल्ड करके बेचा है और उसमें मुनाफा हुआ है, तो उसे शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। आपको बता दें कि इस मुनाफे पर 15% की दर से टैक्स देना होता है।
- Long-Term Capital Gains (LTCG) Tax: वहीं, अगर आपने शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड को 12 महीने से ज्यादा समय तक होल्ड करने के बाद बेचा है और मुनाफा कमाया है, तो वह लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन कहलाता है। इसमें 1 लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगता। 1 लाख रुपये से ज्यादा के मुनाफे पर 10% की दर से टैक्स लगता है, बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट के।
इंट्राडे और F&O ट्रेडिंग पर कितना टैक्स लगता है?
अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग या फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग करते हैं, तो उससे होने वाली कमाई को Business Income यानी व्यावसायिक आमदनी माना जाता है। मीडिया के अनुसार, इस कमाई को आपकी दूसरी आमदनी के साथ जोड़ दिया जाता है और फिर आपकी कुल आमदनी के हिसाब से Income Tax Slab के अनुसार टैक्स देना होता है। इसका मतलब है कि अगर आपकी कुल आमदनी 5 लाख से कम है तो आपको शायद कोई टैक्स न देना पड़े, लेकिन अगर आमदनी ज्यादा है तो 30% तक का टैक्स भी देना पड़ सकता है।
टैक्स बचाने के कुछ आसान तरीके
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शेयर बाजार की कमाई पर टैक्स से थोड़ी बचत की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, आप इन तरीकों को अपना सकते हैं:
- लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट: शेयरों को एक साल से ज्यादा समय तक होल्ड करके बेचने पर आपको LTCG का फायदा मिलता है, जहाँ 1 लाख तक का मुनाफा टैक्स-फ्री होता है।
- टैक्स सेविंग इंस्ट्रुमेंट्स (80C): ELSS जैसे इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम में निवेश करके आप 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स में छूट पा सकते हैं। इससे आपकी कुल टैक्स लायबिलिटी कम हो जाएगी।
- कैपिटल लॉस को ऑफसेट करना: अगर आपको किसी शेयर में नुकसान हुआ है, तो उसकी भरपाई दूसरे शेयर के मुनाफे से की जा सकती है। शॉर्ट-टर्म लॉस को शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म गेन के खिलाफ सेट किया जा सकता है।
टैक्स भरने का सही तरीका और जरूरी दस्तावेज
शेयर बाजार से हुई कमाई का टैक्स भरने के लिए आपको ITR फॉर्म भरना होगा। अगर आपके पास शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन है, तो आपको ITR-2 फॉर्म भरना होगा। आपको बता दें कि टैक्स भरते समय आपके पास ये चीजें जरूर होनी चाहिए:
- ब्रोकर की तरफ से मिला कैपिटल गेन स्टेटमेंट
- टैक्स भरने का प्रूफ (Challan)
- बैंक स्टेटमेंट
- पैन कार्ड
- पिछले साल का ITR (अगर है तो)
सूत्रों के मुताबिक, सही जानकारी और थोड़ी सी सावधानी से आप शेयर बाजार की कमाई पर टैक्स के नियमों को आसानी से समझ सकते हैं और सही तरीके से टैक्स भर सकते हैं। इससे आप किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी से बचे रहेंगे और अपने मुनाफे का पूरा लाभ उठा पाएंगे।